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पंजाब कांग्रेस का संकट: दो मंत्रियों ने कैप्टन को लिखी चिट्ठी, मिलने के साथ की यह मांग

चंडीगढ़। पंजाब कांग्रेस (Punjab Congress) का संकट कम होने की बजाय गहराता ही जा रहा है। कैप्टन को CM पद से हटाने की मांग पर अड़े चार मंत्रियों में से अब दो मंत्रियों ने CM को चिट्ठी लिखकर मिलने का समय मांगा है। साथ ही में पत्र में एक शहर को जिला बनाने की भी मांग की है। जिन दो मंत्रियों ने सीएम को चिट्ठी लिखी है उनमें पित्रप राजिंदर सिंह बाजवा (Pitrap Rajinder Singh Bajwa) और सुखजिंदर सिंह रंधावा (Sukhjinder Singh Randhawa) शामिल हैं। इस चिट्ठी में दोनों मंत्रियों की तरफ से कहा गया है कि बटाला शहर (batala city) को राज्य का 24वां जिला बनाया जाना चाहिए।

इन मंत्रियों ने पत्र लिखकर यह भी मांग उठाई है कि ऐतिहासिक शहर फतेहगढ़- चूरियन और श्री हरगोविंदपुर (Sri Hargovindpur) को नए जिले बटाला का सब-डिविजन बनाया जाए। ताकि यहां के लोगों की मांग पूरी हो सके और क्षेत्र का सर्वांगीण विकास हो सके। इन मंत्रियों ने यह भी कहा है कि बटाला एक ऐतिहासिक शहर (historical city) है लेकिन जितनी तवज्जो इस शहर को मिलनी चाहिए थी उतनी नहीं मिली। इन दोनों मंत्रियों का कहना है कि बटावा पंजाब का पुराना शहर है और यह जनसंख्या की दृष्टि से भी बड़ा शहर है। इसका राज्य में ऐतिहासिक, धार्मिक और सामाजिक महत्व भी काफी है।





इस पत्र में ये भी लिखा है कि महाराजा रणजीत सिंह (Maharaja Ranjit Singh) के शासनकाल में लाहौर और अमृतसर के बाद बटाला ही सिख साम्राज्य का सबसे महत्वपूर्ण शहर हुआ करता था। हालांकि, CM की ओर से अभी तक इस पर कोई जवाब नहीं दिया गया है। ये तब सामने आया है कि पार्टी आलाकमान ने मुख्यमंत्री को मंत्रियों को अपनी आपत्ति व्यक्त करने और कैबिनेट विस्तार न करने की सलाह देने के बाद आया है।

राज्य सरकार के प्रवक्ता ने बताया कि दोनों मंत्रियों ने मुख्यमंत्री से इस मामले में जल्द से जल्द मिलने का समय देने की मांग की है। उन्होंने ये भी बताया कि मंत्रियों ने बटाला को पंजाब का 24वां जिला बनाने की मांग की है। मंत्रियों का कहना है कि लोगों की इच्छा और इलाके के विकास के लिए इसे नया जिला बनाया जाना चाहिए। पत्र में ये भी लिखा है कि बटाला एक ऐतिहासिक शहर है और इसे वो सम्मान नहीं दिया गया, जिसका वो हकदार था।

आगे लिखा है, ‘सिखों के पहले गुरु नानक देव (Nanak Dev) ने 8 जुलाई 1487 को माता सुलखनी (mata sulkhni) से इसी शहर में शादी की थी। गुरुद्वारा डेरा साहिब और गुरुद्वारा कंध साहिब उनकी स्मृतियां हैं। 6वें गुरु हरगोबिंद भी अपने बेटे की शादी के लिए इसी शहर में आए थे और उनकी याद में गुरुद्वारा सत करतारिया को शहर के बीचोंबीच बनाया गया है।’

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