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एक्शन में सोनिया: पांच राज्यों में चुनावी हार की समीक्षा करने इन पांच नेताओं को दी जिम्मेदारी, बड़े बदलाव होने के संकेत

नई दिल्ली। पांच राज्यों में हार के बाद कांग्रेस अब मंथन का दौर शुरू हो गया है। एक तरफ जहां नाराज नेताओं का जी-23 गुट मुखर नजर आ रहा है, वहीं दूसरी ओर कांग्रेस हार की समीक्षा में जुट गई है। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने चुनावी हार की समीक्षा के लिए पांच नेताओं को नियुक्त किया है। जो समीक्षा के बाद पार्टी में जरूरी संगठनात्मक बदलावों को लेकर सुझाव भी देंगे। इससे पहले सोनिया गांधी ने इन राज्यों के अध्यक्षों से इस्तीफा मांगा था।

पांचों राज्यों के लिए नियुक्त किए गए नेताओं में जयराम रमेश को मणिपुर, अजय माकन को पंजाब में स्थिति का आकलन करने का काम सौंपा गया है। वहीं राज्यसभा सांसद रजनी पाटिल को गोवा के हालातों की समीक्षा करने की जिम्मेदारी दी गई है। जबकि कांग्रेस नेता जितेंद्र सिंह उत्तर प्रदेश ओर अविनाश पांडेय को उत्तराखंड में चुनाव के बाद की स्थिति का आकलन करने की जिम्मेदारी दी गई है।

बता दें कि कांग्रेस ने हाल ही में संपन्न विधानसभा चुनावों में उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, गोवा और मणिपुर के भाजपा शासित राज्यों में से किसी को भी वापस जीतने में नाकाम रही है जबकि पंजाब में आम आदमी पार्टी से हारकर अपनी सत्ता गवां दी। इससे पहले सोनिया गांधी ने 15 मार्च को अपनी उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, पंजाब, गोवा और मणिपुर इकाइयों के प्रमुखों को अपना इस्तीफा सौंपने को कहा था।





बुधवार को कांग्रेस की ओर से जारी एक प्रेस रिलीज में कहा गया है कि कांग्रेस अध्यक्ष ने चुनाव के बाद की स्थिति का आंकलन करने के लिए नेताओं को नियुक्त किया है और तत्काल प्रभाव से विधायक उम्मीदवारों और महत्वपूर्ण नेताओं से राज्यों में संगठनात्मक परिवर्तन का सुझाव दिया है।

पार्टी नेताओं ने उठाए कांग्रेस नेतृत्व पर सवाल
बता दें कि कांग्रेस को उम्मीद थी कि वो इन पांचों राज्यों में से किसी एक में सरकार बनाने में कामयाब होगी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। गोवा, मणिपुर, उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में पार्टी बीजेपी को सत्ता से नहीं हटा पाई। वहीं पंजाब में जहां कांग्रेस सत्ता में थी, वहां आम आदमी पार्टी ने ऐतिहासिक जीत दर्ज कर पार्टी को हाशिए पर खड़ा कर दिया। इस चुनावी हार के बाद कांग्रेस नेतृत्व को लेकर पार्टी के भीतर से एक बार फिर आवाजें उठना शुरू हो चुका है, जी-23 ग्रुप के नेताओं ने बैठक कर पार्टी को कई तरह की नसीहत दी हैं। जिससे पार्टी में फूट का बड़ा खतरा मंडरा रहा है। क्योंकि इस बार इन नाराज नेताओं के साथ कई और नए नेता भी जुड़ गए हैं।

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