कांग्रेस “डंडे खाए हम और मलाई खाओ तुम” – अब ऐसा नहीं होगा

वैभव गुप्ता
सियासी तर्जुमा – भोपाल : क्या 15 महीने का वक्त कम होता है अपनों की मदद के लिए ? क्या 15 महीनों में कोई राजनैतिक दल (political party) अपने कार्यकर्ताओं को मजबूत बनाने के लिए काम नहीं कर सकता है ? ये दोनों सवालों के जबाव जानना कांग्रेस(congress) की संगठनात्मक मजबूती और कार्यकर्ताओं को भविष्य में होने वाले चुनावों की तैयारी के लिए जरूरी है। मध्यप्रदेश में कांग्रेस की सरकार पन्द्रह महीने तक रही थीं उसके बाद भी मंत्री – विधायकों ने उस कांग्रेस कार्यकर्ताओं की कोई सुध नहीं ली, जिनके ऊपर पैर रखकर वो मंत्री (minister) और विधायक बनें थे। आज फिर यहीं सवाल कांग्रेस के कार्यकर्ता पूछ रहे है कि इस बात कि क्या गारंटी है अब आप नहीं भूलेंगे।
कांग्रेस सासंद बोले मेरा बेटा नहीं लड़ेगा चुनाव
साल 2023 में तैयारी में जुटे कांग्रेस नेता इन दिनों भोपाल में खूब बैठकें लेकर अपने नाराज कार्यकर्ताओं को मनाने की नाकाम कोशिशें कर रहे है। युवक कांग्रेस(youth congress) की कमान संभाल रहे विक्रांत भूरिया के पिता सासंद कांतिलाल भूरिया (kantilala buriya) ने भरी बैठक में यह एलान कर दिया है कि उनका बेटा चुनाव नहीं लड़ेगा, हालांकि उन्होंने यह नहीं बताया कि उनके बेटे को टिकट कौन दे रहा है। खैर ये बात दूसरी है, दरअसल मध्यप्रदेश में एक बार फिर सत्ता हासिल करने की तैयारी में जुटी कांग्रेस के सामने इस वक्त सबसे पड़ी परेशानी है, कि उसके कार्यकर्ता इस बात को मानने के लिए तैयार नहीं है कि अब कार्यकर्ता को हाशिएं पर नहीं ढकेला जाएगा।
चप्पलें घिस घिस कर कांग्रेस कार्यकर्ता हुए परेशान
15 महीने की सरकार में मुख्यमंत्री कमलनाथ उनके सभी मंत्रियों और विधायकों के बंगलों के चक्कर काट काट कर अपनी चप्पलें घिसने वाले कांग्रेसी इस बात को मानने के लिए तैयार नहीं है, कि अब सरकार बनीं तो उनकी बात सुनी जाएंगी, तभी तो पीसीसी दफ्तर में हुई बैठक में पूर्व मंत्री कमलेश्वर पटेल को कहना पड़ा कि अब ऐसा नहीं होगा, पहले कार्यकर्ता फिर समय मिला तो कोई और… दरअसल कांग्रेस दफ्तर में हुई बैठक में युवक कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष पिंटू जोशी ने कहा कि पार्टी की मजबूत करने के लिए, जनता की आवाज बनने के लिए डंडे हम खाते है, जेल हम जाते है, और जब सरकार बन जाती है, तो सबसे पहले हमारी पार्टी के नेता हम ही भूल जाते है। पिंटू ने बात कोई गलत नहीं कहीं थी उन्होंने तो ठीक ही कहा था कि 15 महीनों में दलालों के काम तो बहुत हुए लेकिन कार्यकर्ताओं से मिलने का वक्त मंत्री – मुख्यमंत्री – विधायक किसी के पास नहीं था. तो फिर उनसे ही अब काम करवा लो जिसने 15 महीने की सरकार में मलाई खाई हो।
अब कैसे और क्यों करे भरोसा
सवाल साफ है, कि कमलनाथ(kamalnath) अब भी कहते जब सरकार नहीं है। कमलनाथ तभी कहते थे जब सरकार थी कि हमारा मुकाबला बीजेपी के संगठन से है, लेकिन कमलनाथ ने 15 महीने की सरकार के दौरान संगठन को मजबूत करने के लिए अगर कुछ किया होता तो शायद कांग्रेस का कार्यकर्ता अपने नेताओं से इस तरह के सवाल नहीं पूछ रहा होता। राहुल गांधी के खास दीपक बावरिया को प्रदेश प्रभारी बनाकर दिल्ली से भोपाल भेजा गया लेकिन उनके साथ मध्यप्रदेश में क्या हुआ ये बात किसी से छिपी नहीं है। बावरिया ने हिन्दी भवन में कमलनाथ की मौजूदगी में अपनी पार्टी की खामियां गिनाई तो कांग्रेस विधायक आरिफ मसूद ने किस तरह से बावरिया की खिलाफत की थी। ऐसे में अगर कमलनाथ कहते है, कि कांग्रेस संगठन को मजबूत करना है तो पहले आलाकमान को समझना होगा कि पार्टी नेताओं ने नहीं कार्यकर्ताओं से बनती है। लेकिन उसके लिए बंद कमरा बैठकें छोड़कर कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ को कार्यकर्ताओं के बीच जाना होगा। लेकिन ऐसा होगा भी क्या, क्योंकि नाथ कहते है कि चुनाव अब बदल चुके है, चुनावी रणनीति अब बदल चुकी है, ये सब तो ठीक है नाथ साहब कार्यकर्ता तो नहीं बदला है ना आपकी नजरों में। एक समय नाथ पर आरोप लगते थे, कि वे कांग्रेस के आम कार्यकर्ताओं से नहीं मिलते है, अब ऐसे इसे वक्त की कमी समझा जाए या उस आम कार्यकर्ता की हैसियत…. कि उसकी पार्टी के अध्यक्ष के लिए आम मिलने के लिए वक्त नहीं और अगर खास हो वेवक्त भी वो मिल जाएगे।