विश्लेषण

ऐसे हों यार तो दुश्मन की क्या जरूरत ?

एक डिस्क्लेमर पहले ही पेश कर दूँ। वह यह कि शहरयार खान इतने बड़े कद के नहीं हैं, कि उन पर कॉलम लिखा जाए। लेकिन क्योंकि मध्यप्रदेश कांग्रेस के ये प्रवक्ता इस पार्टी की मानसिक जहालत के नए-नवेले प्रतिनिधि बनकर सामने आये हैं, इसलिए उनका चर्चा किया जा रहा है। शहरयार ने एक निहायत ही मनोरंजक बयान दिया है। फरमाया है कि मध्यप्रदेश में उपचुनावों के दौरान ईवीएम के दो हैकर्स सोनिया गांधी और राहुल गाँधी के संपर्क में थे। वे कांग्रेस के लिए उपचुनाव में ईवीएम हैक करने की पेशकश कर रहे थे। बयान में यह भी दावा किया गया है कि इन हैकर्स ने सोनिया और राहुल को नतीजों की उनकी घोषणा से पहले ही जानकारी दे दी थी।

अब जाहिर है कि इस बयान के जरिये प्रवक्ता महोदय ने भाजपा को घेरने की कोशिश की है। यह आरोप लगाया है कि बीजेपी हैकिंग के जरिये चुनाव जीती। यह कमलनाथ को खुश करने की कोशिश भी है। क्योंकि 28 में से 19 सीटों पर कांग्रेस के करारी हार ने नाथ महाशय की ही सियासी संभावनाओं और महत्वकांक्षाओं को नाबदान का रास्ता दिखा दिया था। लेकिन क्या नाथ को इस बयान से खुश होना चाहिए? खुशी तो दूर, यदि वे इस कथन के छटांक भर समर्थन में भी आगे आते हैं तो इसे उनकी राजनीतिक अपरिपक्वता का शर्मनाक उदाहरण कहा जाएगा। सोनिया और राहुल की बात अलग है। उन्हें तो खान के कथन जैसी किसी भी मूर्खता के लिए कन्विंस करना बहुत आसान है।

बस इतना ही कहना होता है कि ऐसा करने से नरेंद्र मोदी का नुकसान होना तय है। लेकिन नाथ तो घुटे हुए राजनीतिज्ञ हैं। जानते हैं कि शहरयार का बयान कांग्रेस की भद पीटने के सदाबहार हो चुके सिलसिले में इजाफा ही कर देगा। क्योंकि इस के बाद कई सवाल उठेंगे। मामला दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र से जुड़ी बहुत अहम प्रक्रिया यानी चुनाव का है। कांग्रेस से यह जरूर पूछा जाएगा कि यदि इस प्रक्रिया को कलंकित करने का दावा करने वाले उसके शीर्ष नेताओं के संपर्क में थे, तो फिर पार्टी की तरफ से इसकी सूचना पुलिस को क्यों नहीं दी गयी? या क्यों नहीं ऐसा हुआ कि इतनी बड़ी गड़बड़ी का पता चलने के बाद पार्टी उन दोनों हैकर्स को पकड़कर मीडिया के सामने पेश कर देती?

मामला हंसी-ठिठौली में टाला नहीं जा सकता। ये वो आरोप है, जिसका आज तक कोई भी साक्ष्य पेश नहीं किया जा सका है। चुनाव आयोग ने ईवीएम को हैक करने का दावा करने वालों को ऐसा करने के लिए खुला चैलेन्ज दिया था। इस चुनौती को स्वीकारने की तो कांग्रेस ने हिम्मत तक नहीं की थी। जो ऐसा करने के लिए सामने आये, वे भी अंतत: गलत ही साबित हुए थे।

इन स्थापित तथ्यों के बीच शहरयार के दावे पर ठीक से हंसने का भी मन नहीं कर रहा। अपने आकाओं को खुश करने की कोशिश में प्रवक्ता महोदय ने पूरी पार्टी को ही बैकफुट वाली स्थिति में ला दिया है। ऐसे यार हों तो फिर किसी को दुश्मनों की जरूरत नहीं रह जाती है।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button