उज्जैन। खुद को ब्रह्मा, विष्णु, महेश और राम बताने वाले साधु संतों पर अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष रविंद्र पुरी महाराज ने कड़ी नाराजगी व्यक्त की है। उज्जैन पहुंचे रविंद्र पुरी ने कहा कि कुछ संत और कथावाचक अपने आप को भगवान का उपासक या पुजारी नहीं मानते हैं, वह खुद को ही भगवान मानने लगे हैं। ऐसे संतों और कथावाचकों को प्रयागराज में होने वाले कुंभ में घुसने नहीं दिया जाएगा। इस दौरान उन्होंने ऐसे साधु-संतों पर प्रतिबंध लगाने की बात कही। साथ ही उन्होंने कहा कि मंच से अल्लाह हू अकबर कहना, नमाज पढ़ना उचित नहीं है। मंच पर पति-पत्नी बैठकर शादी करें, ये चीजें अच्छी नहीं हैं। ऐसे संतों को चिह्नित किया जाएगा, जो सनातन के विरुद्ध कार्य कर रहे हैं।’
रविंद्र पुरी महाराज ने कहा कि आजकल ऐसा ट्रेंड चला है कि हर कोई अपने आप को उपासक-पुजारी नहीं, भगवान कह रहा है। खुद को ब्रह्मा, विष्णु, महेश और राम कह रहे हैं, ऐसे संतों पर कार्रवाई होना अति आवश्यक है। प्रयागराज के कुंभ में ऐसे व्यक्तियों को भूमि नहीं दी जाएगी।’ तीन अखाड़ों ने अपने 112 संतों को नोटिस दिया है। उन्होंने कहा कि वर्तमान में समाज ही नहीं संतों में भी दो मानसिकता को मानने वाले लोग हैं, एक मुल्लावादी और दूसरे हिंदूवादी। आज इसी सोच पर देश चल रहा है, कुछ संतों की सोच आज भी कांग्रेसी है जो इसी पर काम कर रहे हैं। वहीं, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सनातन को आगे बढ़ाने के लिए जो कार्य किए हैं, वह सभी के सामने हैं फिर चाहे वह राम मंदिर का निर्माण करना हो या फिर उज्जैन में महाकाल लोक का निर्माण। सनातन को आगे बढ़ाने के लिए पीएम मोदी से अच्छा कोई प्रधानमंत्री नहीं हो सकता है।
सनातन के विरुद्ध कार्य करने वाले संतों को किया जाएगा चिन्हित
बता दें कि प्रयागराज में महाकुंभ 2025 में होगा। उज्जैन में 4 साल बाद यानि 2028 में कुंभ होना है। ऐसे में अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष यहां व्यवस्थाएं देखने आए। उन्होंने कहा, ‘हमारी सनातन संस्कृति के विरोध में जो जाएगा, उस पर कार्रवाई होगी। मंच से अल्लाह हू अकबर कहना, नमाज पढ़ना उचित नहीं है। मंच पर पति-पत्नी बैठकर शादी करें, ये चीजें अच्छी नहीं हैं। ऐसे संतों को चिह्नित किया जाएगा, जो सनातन के विरुद्ध कार्य कर रहे हैं।’ रविंद्र पुरी महाराज से नोटिस देने की वजह पूछी तो कहा- ये गुप्त मामला है।
इन आखाड़ों के संतों को थमाया नोटिस
6 महामंडलेश्वर को निष्कासित करने के संबंध में रविंद्र पुरी महाराज ने कहा कि फिलहाल दो महीने पहले सिर्फ उज्जैन में महिला महामंडलेश्वर को निष्कासित किया गया है, अन्य किसी को नहीं। 112 संतों को नोटिस देने के संबंध में उन्होंने कहा कि सभी अखाड़ों की अपनी व्यवस्था है। अखाड़े से संबंधित किसी संत को गलती करने पर उनके अखाड़े ने नोटिस जारी किया होगा और वही कार्रवाई भी करेंगे। जूना अखाड़े ने 54 संत, श्री निरंजनी अखाड़े ने 24 संतों और निमोर्ही अनी अखाड़े ने 34 संतों को नोटिस थमाया है। संतों को आदेशित किया है कि 30 सितंबर तक संतोषजनक जवाब नहीं देने पर कुंभ मेले में प्रवेश पर भी प्रतिबंध लगा दिया जाएगा।
साधु-संत मंच से सनातन संस्कृति का उड़ा रहे मजाक
पुरी महाराज ने कहा कि सांप्रदायिक एकता के नाम पर कुछ साधु संत मंच से ही सनातन संस्कृति का मजाक उड़ा रहे हैं। कोई मंच से अल्लाह का नाम लेता है तो कोई नमाज पढ़ने की बात करता है। मंच पर शादी करवाने से भी कहीं न कहीं हमारी संस्कृति और सनातन का उपहास ता है। ऐसे लोगों को भी अब यह जान लेना चाहिए कि अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद की नजरें सभी की ओर हैं। अगर, आप सनातन का अपमान करेंगे तो कार्रवाई जरूर होगी।
मोदी-योगी जब तक है, तब ऐसा नहीं होने देंगे
इस दौरान उन्होंने बताया कि 21 जुलाई को बरेली में सामूहिक धर्म परिवर्तन निकाह कार्यक्रम करवाने की घोषणा मौलाना तौकीर रजा खान ने की। जिसमें उन्होंने दावा किया है कि वह पांच जोड़ों का धर्म परिवर्तन करवाकर निकाह करवाएंगे। लेकिन, मैं आपको विश्वास दिलाता हूं कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जब तक हैं, तब तक वह ऐसा नहीं होने देंगे। 70 साल में पहली बार मोदी जी आए थे, उन्हें विश्वास था कि सभी उनका साथ देंगे, लेकिन उनकी सरकार को पूर्ण बहुमत नहीं मिला। फिर भी देश में धर्म के नाम पर होने वाले इस तरह के आयोजन न तो इस सरकार के कार्यकाल में हो पाएंगे और न ही साधु संत ऐसे आयोजन होने देगा।
खुद भगवान बन बैठे संत और कथावाचक
अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष रवींद्र पुरी महाराज ने कहा कि कुछ संत और कथावाचक अपने आप को भगवान का उपासक या पुजारी नहीं मानते हैं, वह खुद को ही भगवान मानने लगे हैं। ऐसे संतों के खिलाफ पूर्व में भी कार्रवाई होती रही है और वर्तमान में भी कार्रवाई की जा रही है। हमने ऐसे संतों को चिन्हित किया है जिन्हें शैव, वैष्णव और उदासीन अखाड़े के माध्यम से नोटिस जारी कर सितंबर तक जवाब मांगे गए हैं। अगर, जवाब नहीं मिलते हैं तो ऐसे संतों और कथावाचकों को प्रयागराज में होने वाले कुंभ में घुसने नहीं दिया जाएगा।