विश्लेषण

एनालिसिस: टिकट बंटवारे के बाद बंगाल से केरल तक असंतोष, अलगाव और टकराव के बीच भाजपा को मिल सकता है फायदा!

नई दिल्ली। टिकट बंटवारे की लिस्ट आने के साथ ही सियासी दलों के लिए नया सिरदर्द शुरू हो गया है। पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव है। पश्चिम बंगाल और असम से लेकर केरल तक जगह-जगह से असंतोष और विरोध प्रदर्शन की खबर है। ममता बनर्जी की करीबी रहीं सोनाली गुहा का जब टिकट कटा तो वह रोने लगीं। इसी तरह असम कांग्रेस में बदरुद्दीन अजमल की पार्टी एआईयूडीएफ को कुछ सीटें देने पर घमासान मचा हुआ है। उधर केरल में बुजुर्ग नेताओं को दरकिनार करने पर लेफ्ट में बागी सुर दिख रहे हैं।

कहीं आंसू, कहीं सड़क जाम…बंगाल का हाल

पश्चिम बंगाल में तृणमूल कांग्रेस के 291 प्रत्याशियों की लिस्ट सामने आने के बाद पार्टी में असंतोष फैल गया। कई विधायकों ने टिकट कटने पर मुख्?यमंत्री ममता बनर्जी से गहरी नाराजगी जताई है। टीएमसी उम्?मीदवारों की लिस्?ट आने के बाद जिन नेताओं के टिकट कट गए थे, उनके समर्थकों ने कई जगहों पर सड़कों को जाम कर टायर जलाए। उत्तरी 24 परगना में अमदांगा के मौजूदा टीएमसी विधायक रफीकुर रहमान के समर्थकों ने उनका नाम उम्मीदवारों की सूची में नहीं होने पर इलाके में राजमार्ग को जाम कर दिया।

दक्षिण 24 परगना जिले के भांगर में अच्छी पकड़ रखने वाले टीएमसी के पूर्व विधायक अराबुल इस्लाम का आरोप है कि कि जो लोग पार्टी से प्यार करते हैं, उन्हें नजरअंदाज कर दिया गया है। इसी तरहत सतगछिया विधायक सोनाली गुहा को जब यह पता चला कि उनका नाम लिस्ट से कट गया है तो वह रोने लगी थीं। अब सोनाली ने ऐलान किया है कि वह जल्द बीजेपी में शामिल होने जा रही हैं। सतगछिया विधानसभा सीट से 4 बार से जीतती आ रहीं सोनाली गुहा ने दर्द बयां करते हुए कहा, ‘अगर ममता दीदी मुझे छोड़ सकती हैं तो मैं क्यों नहीं? मैंने बीजेपी नेता मुकुल रॉय को फोन कर कहा है कि मैं चुनाव नहीं लड़ूंगी, लेकिन पार्टी में एक सम्मानजनक पद चाहती हूं। वह मेरी इस मांग से सहमत हैं। मैं बीजेपी में जरूर शामिल होऊंगी।’

केरल में बुजुर्गों का टिकट कटने पर टकराव

केरल में टिकट बंटवारे पर सीपीएम के अंदर टकराव बढ़ गया है। उधर सीपीएम की दो जिला कमिटियों ने उम्मीदवारों के चयन में दो बार विधायक होने के पैमाने पर छूट देने को कहा है। स्टेट कमिटी से अप्रूव लिस्ट में पार्टी के कई वरिष्ठ नेताओं और मंत्रियों को टिकट नहीं मिला है। पांच सीनियर मिनिस्टर ईपी जयराजन, थॉमस इसैक, जी सुधाकरन, एके बालन और सी रवींद्रनाथ का टिकट इस बार कट गया है। इसके अलावा कन्नूर में पी जयराजन और रन्नी में राजू अब्राहम का अच्छा प्रभाव होने के बावजूद उनकी अनदेखी की गई है। वरिष्ठ नेताओं को नजरअंदाज करने से 2011 और 2016 जैसे हालात दिख रहे हैं, जब अच्युतानंदन के समर्थक विरोध प्रदर्शन पर उतर आए थे।

बदरुद्दीन अजमल से सीट शेयरिंग पर कांग्रेस में असंतोष

असम में बदरुद्दीन अजमल की आल इंडिया यूनाइटेड डेमोक्रैटिक फ्रंट और कांग्रेस के बीच गठबंधन है। शीट शेयरिंग और उम्मीदवारों के चयन को लेकर पार्टी की महिला यूनिट की चीफ सुष्मिता देव की नाराजगी की खबर है। बताया जा रहा है आॅल इंडिया महिला कांग्रेस की अध्यक्ष सुष्मिता देव ने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से अपनी नाखुशी जाहिर की है। दूसरी ओर, पार्टी नेताओं का कहना है कि बातचीत कर मामले का हल निकालने का प्रयास किया जा रहा है। सुष्मिता देव का कहना है कि पार्टी उम्मीदवारों के नाम तय करने और सूची फाइनल करने में उनसे कोई राय तक नहीं ली गई।

इसलिए वह आहत महसूस कर रही हैं। पूर्व सांसद देव पार्टी से इसलिए भी नाराज हैं, क्योंकि बंगाली बहुत बराक वैली में एआईयूडीएफ को सोनाई विधानसभा सीट देने का फैसला लिया गया है। कांग्रेस नेता सुष्मिता देव को इस बात की भी नाराजगी है कि पार्टी ने उनकी पसंद के दो उम्मीदवारों को टिकट नहीं देने का फैसला किया है। देव बराक वैली की बारखोला और धालाई सीटों पर पैपान देब और हीरक दास को टिकट दिलवाना चाहती थीं। असम में कांग्रेस का बदरुद्दीन अजमल के नेतृत्व वाली एआईयूडीएफ, वाम दलों और बोडोलैंड पीपुल्स फ्रंट के साथ गठबंधन है। कौन सी पार्टी कितनी सीटों पर चुनाव लड़ेगी इसकी घोषणा होनी बाकी है।

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