भोपाल। देशभर में इन दिनों आदिशक्ति की आराधना का पर्व नवरात्रि की धूम मची हुई हैं। ऐसी धूम 11 अक्टूबर तक देखने को मिलेगी। फिर 12 अक्टूबर को रावण का दहन किया जाएगा। इससे पहले मप्र भाजपा के सीनियर नेता और पूर्व मंत्री गोपाल भार्गव ने प्रदेश में बच्चियों और महिलाओं के खिलाफ लगातार बढ़ते अपराधों को लेकर तीखा सवाल किया है। दरअसल उन्होंने सोशल मीडिया में एक पोस्ट डालकर सवाल किया है। एक तरफ कन्या पूजन, दूसरी ओर अबोध बेटियों से रेप हो रहे हैं। ऐसे में क्या वर्तमान परिवेश में हम रावण दहन के अधिकारी हैं ? गोपाल भार्गव के इस बयान के बाद से सियासी गलियारों में हलचल तेज हो गई है।
गोपाल भार्गव ने सोशल मीडिया अकाउंट एक्स पर लिखा कि नवरात्रि का पावन पर्व चल रहा है, गांव से लेकर शहर तक जगह जगह देवी जी सहित कन्याओं का पूजन हो रहा है। पांच दिन बाद दशहरा आयेगा देश भर में गांव से लेकर शहरों तक लोग रावण का पुतला दहन करेंगे। उन्होंने आगे लिखा कि आजकल जहां अखबारों में एक तरफ दुर्गा पूजन और कन्या पूजन की खबरे छपती हैं उसी पेज के दूसरी तरफ 3 वर्ष और 5 वर्ष की अबोध बालिकाओं के साथ दुष्कृत्य तथा उनकी हत्या करने की खबरे भी निरंतर पढ़ने और देखने मे आती हैं। मैंने यह भी गौर किया है कि दुनियां के किसी भी देश में मुझे ऐसे समाचार पढ़ने या देखने नहीं मिले। नवरात्रि के महापर्व में हमे अब यह विचार करना होगा कि क्या हम लंकाधिपति रावण का पुतला जलाने की पात्रता रखते हैं ? और क्या हम इसके अधिकारी हैं ?
रावण दहन करने का क्या औचित्य है ?
पूर्व मंत्री ने आगे लिखा, ह्यविजयादशमी को हम बुराई पर अच्छाई की विजय का त्यौहार मानते हैं। रावण ने सीता माता का हरण किया लेकिन सीता जी की असहाय स्थिति में भी उनका स्पर्श करने का प्रयास नहीं किया । तुलसीदास जी रामचरित मानस के सुंदर कांड में लिखते हैं- ह्लतेहि अवसर रावनु तहं आवा। संग नारि बहु किएं बनावा अर्थात- रावण जब सीता माता के दर्शन करने जाता था तब लोक लाज के कारण अपनी पत्नी और परिवार को भी साथ ले जाता था।। सभी प्रकार की रामायणों में उल्लेख है कि रावण से बड़ा महाज्ञानी, महा तपस्वी , महान साधक और शिवभक्त भू लोक में नहीं हुआ जिसने अपने शीश काट काटकर भगवान के श्री चरणों मे अर्पित किए ऐसे में आजकल ऐसे लोगों के द्वारा जिन्हें न किसी विद्या का ज्ञान है , जिन्हें शिव स्तुति की एक लाइन और रुद्राष्टक, शिवतांडव स्तोत्र का एक श्लोक तक नहीं आता, जिनका चरित्र उनका मुहल्ला ही नहीं बल्कि पूरा गांव जानता है, उनके रावण दहन करने का क्या औचित्य है ?
भार्गव बोले- यह आत्ममंथन का विषय
गोपाल भार्गव ने आगे अपनी पोस्ट में लिखा, ह्ययह तो सिर्फ बच्चों के मनोरंजन के लिए आतिशबाजी दिखाने का मनोरंजन बनकर रह गया है। हम सबसे पहले इस बात का प्रण ले कि हमें अपने मन के अंदर और अपनी इंद्रियों में बैठे उस रावण को मारना होगा जो तीन और पांच वर्ष तक की अबोध बच्चियों के साथ दुष्कृत्य करने को प्रेरित करता है। एक और बात गौर करने लायक है कि जबसे ऐसे दुष्कृत्य करने वालों को मृत्युदंड और कड़ी सजाओं के कानून बने हैं तब से ऐसी घटनाएं और अधिक देखने मे आ रहीं हैं। नवरात्रि में हम सभी भारतीयों को यह आत्ममंथन का विषय है। उनका यह सवाल समाज में महिलाओं के प्रति हो रही हिंसा और बढ़ते अपराधों की ओर इशारा करता है, जो मृत्यु दंड और कड़ी सजा के प्रावधान के बावजूद लगातार बढ़ रहे हैं।
बता दें राज्य में पिछले कुछ समय से महिला अपराधों, विशेष रूप से मासूम बच्चियों के साथ हो रही घटनाओं में वृद्धि देखी जा रही है। इस पर गोपाल भार्गव ने गहरी चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि नवरात्रि जैसे पावन पर्व पर, जब हम देवी की पूजा करते हैं, तो हमें महिलाओं की सुरक्षा और सम्मान के प्रति अपने कर्तव्यों पर भी विचार करना चाहिए। उन्होंने कहा कि समाज को महिलाओं के प्रति अपनी सोच में बदलाव लाना होगा और कानून के साथ-साथ समाजिक सुधारों पर भी जोर देना होगा, ताकि इस तरह के अपराधों को रोका जा सके।