उफ़! अब ‘गैस त्रासदी’ की वजह भी बना कोरोना
नयी दिल्ली।कोविड-19 महामारी (Covid-19 Pandemic) की मार के चलते देश के घर-घर में ‘गैस त्रासदी’ (Gas Tragedy) भी हो रही है. यानी रसोई गैस के दाम आसमान छूने के बीच ही लॉकडाउन के चलते इस गैस की खपत भी अंधाधुंध रूप से बढ़ गयी है, हालाँकि ये अच्छी बात है कि इन्हीं हालात के चलते देश में पेट्रोल और डीजल की खपत (Consumption of Petrol and Diesel) में कमी आई है।
वित्त वर्ष 2020-21 में देश में पेट्रोल की खपत 280 लाख टन रही। इससे पहले वित्त वर्ष 2019-20 में 300 लाख टन पेट्रोल बिका था। इस प्रकार इसकी बिक्री 6.67 प्रतिशत कम हुई। इस दौरान उत्पादन 386 लाख टन से घटकर 358 लाख टन पर आ गया।
इसी तरह डीजल की खपत भी 2019-20 के 8.26 करोड़ टन से 11.99 प्रतिशत कम होकर 7.27 करोड़ टन रह गई। डीजल का उत्पादन भी एक साल पहले के 11.11 करोड़ टन की तुलना में 10.04 करोड़ टन रहा।
देश की सबसे बड़ी तेल विपणन कंपनी इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन (Indian Oil Corporation) (IOCL) के अध्यक्ष एम.एम. वैद्य(MM Vaidy) ने कंपनी के तिमाही परिणामों की घोषणा के दौरान बताया कि इस समय पेट्रोल-डीजल की मांग सामान्य दिनों की तुलना में 15-20 प्रतिशत कम है। हालांकि रसोई गैस (LPG) की मांग करीब पांच प्रतिशत बढ़ी है।
सरकारी आंकड़ों के अनुसार, पिछले वित्त वर्ष में एलपीजी की खपत 276 लाख टन रही। यह वित्त वर्ष 2019-20 के 263 लाख टन से 4.94 प्रतिशत अधिक है। हालांकि एलपीजी का उत्पादन 128 लाख टन से घटकर 121 लाख टन रह गया। इससे पहले वित्त वर्ष 2019-20 में एलपीजी की खपत 5.62 फीसदी बढ़ी थी।
कोविड-19 के कारण पिछले साल मार्च के आखिरी सप्ताह में देश भर में लॉकडाउन (Lock Down) लगाया गया था। मई से इसमें धीरे-धीरे छूट दी गई थी, लेकिन महामारी की दूसरी लहर के कारण एक बार फिर कई राज्यों में पूर्ण या आंशिक लॉकडाउन है। इससे पेट्रोल-डीजल की मांग प्रभावित हो रही है।
उड़ानों पर प्रतिबंधों के कारण विमान ईंधन की मांग खासी प्रभावित हुई है। वित्त वर्ष 2020-21 में इसकी खपत मात्र 37 लाख टन रही। एक साल पहले इसकी खपत 80 लाख टन थी। इस प्रकार इसमें 53.75 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई है।