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उत्तराखंड के नए सीएम की पुरानी यादें: खर्चा चलाने के लिए तीरथ सिंह रावत ने खोला था पीसीओ

नई दिल्ली। उत्तराखंड के पौड़ी जिले में श्रीनगर से राजनीतिक जीवन की शुरूआत करने वाले प्रदेश के नए मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने खर्चा चलाने और संपर्क के लिए नगर पालिका मार्ग पीपलचौरी में पीसीओ खोला। यह पीसीओ राजनीतिक चर्चाओं का भी अड्डा था। पीसीओ चलाने मे सहयोगी विकास खंड कीर्तिनगर के पारकोट निवासी संजीव चौहान बताते हैं कि वर्ष 1992-96 तक तीरथ पीसीओ में बैठते रहे। लोगों और कार्यकर्ताओं से संपर्क करने के लिए फोन करने पड़ते थे। उनके एमएलसी बनने के बाद चौहान ने कुछ समय तक पीसीओ चलाया।

मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने एचएनबी गढ़वाल विवि श्रीनगर से स्नातक किया। इस दौरान वह अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़े रहे। वर्ष 1990-91 में वह विवि के बिड़ला परिसर में छात्र संघ अध्यक्ष चुने गए। अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के पूर्व विभाग प्रमुख विकास कुकरेती बताते हैं कि तीरथ श्रीनगर में उनके पड़ोस में नंदा देवी मंदिर के कमरे में रहे थे। उस दौर में राजकीय इंटर कॉलेज श्रीनगर में परिषद की इकाई थी। वर्ष 1989 में तीरथ ने उनका परिषद के साथ नाता जोड़ा। इसके बाद वह हर चुनाव में तीरथ के साथ रहे।

कुकरेती का कहना है कि तीरथ बहुत ही सामान्य घर से हैं। चुनाव प्रचार के दौरान किसी भी साथी को बाजार में खाना खिलाने के बजाय घर में खाना खिलाते थे। वहीं, छात्र जीवन में उनके पड़ोसी जगदंबा प्रसाद मैठाणी बताते हैं कि तीरथ हमेशा उनसे पढ़ाई के लिए दबाव डालते थे। किताबें भी वही लाते थे। सांसद बनने के बाद भी वे उन्हें नहीं भूले । वे आज भी उनके संपर्क में हैं।

तीरथ सिंह रावत तीन भाइयों में सबसे छोेटे हैं। उनके सबसे बड़े भाई जसवंत सिंह रावत पूर्व सैनिक हैं। रिटायरमेंट के बाद पौड़ी के सीरों गांव में ही रहते हैं। दूसरे भाई कुलदीप सिंह रावत प्राइवेट सेक्टर में नौकरी करते हैं। वे देहरादून के क्लेमेंटटाउन क्षेत्र में निवास करते हैं। उन्होंने बताया कि वे 1985 से देहरादून में रह रहे हैं। तीरथ सिंह रावत की एक बेटी लोकांक्षा रावत सेंट जोजेफ्स एकेडमी में 10वीं कक्षा की छात्रा हैं।

छात्र राजनीति से तीरथ ने अपना राजनीति सफर शुरू किया। वर्ष 1997 में पहली बार विधायक बने। राज्य गठन के बाद 2000 में प्रदेश के पहले शिक्षा मंत्री बने। 2007 में भाजपा प्रदेश महामंत्री की जिम्मेदारी संभाली। 2012 में पौड़ी जिले के चौबट्टाखाल विधानसभा सीट से चुनाव जीता और दूसरी बार विधायक बने। सीटिंग विधायक होने के बावजूद भी 2017 के विधानसभा चुनाव में पार्टी ने उन्हें टिकट नहीं दिया। पार्टी ने उन्हें राष्ट्रीय सचिव के साथ ही हिमाचल प्रदेश का प्रभारी बना कर बड़ी जिम्मेदारी सौंपी थी। उनके धैर्य को देखते हुए पार्टी हाईकमान ने मुख्यमंत्री बना कर इनाम दिया है।

 

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