SP गठबंधन की बैठक से किनारा कर नाराज शिवपाल पहुंचे दिल्ली, भाई से मिल बताई अपनी पीड़ा
लखनऊ। उत्तरप्रदेश में हुए विधानसभा चुनाव में मिली करारी हार के बाद मुलायम सिंह यादव के कुनबे में एक बार फिर दिखने लगी हैं। सपा विधायक दल की बैठक में न बुलाए जाने से नाराज शिवपाल सिंह यादव ने आज होने वाली समाजवादी पार्टी गठबंधन में शामिल सहयोगी पार्टियों की बैठक से भी किनारा कर लिया है और वह दिल्ली पहुंच गए हैं। दिल्ली पहुंचने के बाद शिवपाल ने सोमवार सुबह सपा के संस्थापक और अपने बड़े भाई मुलायम यादव से मुलाकात कर अपनी पीड़ा बयां की है।
दरअसल अखिलेश यादव ने आज लखनऊ पार्टी मुख्यालय पर सहयोगी दलों की बैठक बुलाई है। इस बैठक में वह विधानसभा चुनाव में मनमुताबिक नतीजे न आने के सवाल पर मंथन करेंगे। बैठक में नाराज चाचा शिवपाल शामिल होंगे या नहीं इस पर सबकी नजरें थीं लेकिन अब साफ हो गया है कि शिवपाल इस बैठक में शामिल नहीं हो रहे हैं। वह दिल्ली पहुंच गए हैं। राजधानी में उन्होंने मुलायम सिंह यादव से मुलाकात की। माना जा रहा है कि इस मुलाकात में शिवपाल ने मुलायम से अपना दर्द साझा किया।
शिवपाल की नाराजगी का यह है कारण
26 मार्च को सपा मुख्यालय में हुई पार्टी विधायक दल की बैठक में शिवपाल को आमंत्रित नहीं किया गया तो नाराज शिवपाल ने पत्रकारों से कहा कि वह अब अपने गृह जिले इटावा जा रहे हैं। जहां अपने लोगों के बीच बैठकर के निर्णय करेंगे और उसके बाद कोई सही ऐलान किया जाएगा। इटावा में रविवार को हुए एक समारोह में शिवपाल यादव ने कहा था कि हमें हनुमान की भूमिका को याद रखना चाहिए, क्योंकि उनकी वजह से ही भगवान राम ने लंका में युद्ध जीता था। उन्होंने आगे कहा कि यह हनुमान थे, जिन्होंने लक्ष्मण की जान बचाई थी। भगवान ने भी कठिन परिस्थितियों का सामना किया है, लेकिन अंत में सत्य की जीत होती है।
बैठक में होगी हार के कारणों की पड़ताल
सहयोगी दलों की बैठक में हार के कारणों की पड़ताल होगी। सहयोगी दलों के नेताओं के साथ बातचीत में गठबंधन की मजबूती पर भी चर्चा होगी। अगला लोकसभा चुनाव मिल कर लड़ने पर भी चर्चा होगी। विधानसभा में सपा गठबंधन के 125 विधायक हैं। इसमें गठबंधन के 14 विधायक शामिल हैं।
बैठक में रालोद, सुभासपा, जनवादी पार्टी, महान दल, अपना दल कमेरावादी को भी बुलाया गया है। अब सवाल है कि इस बैठक में प्रसपा अध्यक्ष शिवपाल यादव शामिल होते हैं या नहीं। शिवपाल यादव सपा विधायकों की बैठक में न बुलाए जाने से नाराज हैं। वह सपा विधायक के तौर पर आना चाहते थे जबकि सपा उन्हें सपा विधायक के बजाए प्रसपा अध्यक्ष के तौर पर ज्यादा अहमियत दे रही है। इसलिए उन्हें सहयोगी दल में रखा हुआ है। लेकिन शिवपाल के तेवर बता रहे हैं कि अब वह बड़ा निर्णय कर सकते हैं।
बता दें कि विधानसभा चुनाव के दौरान भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को उत्तर प्रदेश की सत्ता से बेदखल करने के लिये प्रगतिशील समाजवादी पार्टी (प्रसपा) अध्यक्ष शिवपाल अपने भतीजे अखिलेश के साथ खड़े हो गए थे। विधानसभा चुनाव में शिवपाल अपनी परंपरागत सीट जसवंत नगर विधानसभा से सपा के चुनाव चिन्ह साइकिल पर चुनाव मैदान में उतरे थे, लेकिन जब विधानसभा चुनाव के नतीजे सपा गठबंधन के पक्ष में नहीं आए।