मप्र में ईव्हीएम मशीनों की कमी, इसलिए मतपत्रों से होगा पंचायत चुनाव: कलेक्टरों से बोले बीपी सिंह

भोपाल। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद मध्यप्रदेश में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव और नगरीय निकाय के चुनावों की तैयारी तेज हो गई है। इसी सिलसिले में गुरुवार को राज्य निर्वाचन आयुक्त बसंत प्रताप सिंह ने कलेक्टर्स के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से निर्वाचन तैयारियों की समीक्षा के दौरान की। जिसके बाद उन्होंने कहा कि जून माह में नगरीय निकाय और पंचायत चुनाव करा लिए जाएंगे। उनकी इस बात से अब यह भी तय हो गया है कि पंचायतों से पहले नगरीय निकायों के चुनाव होंगे।
बसंत प्रताप सिंह ने यह भी साफ कर दिया कि मध्यप्रदेश में नगरीय निकायों के चुनाव में ईव्हीएम और त्रि-स्तरीय पंचायतों के चुनाव में मतपत्र और मतपेटियों का उपयोग किया जाएगा। उन्होंने कहा कि पंचायतों का चुनाव भी ईव्हीएम से करवाने पर 3 माह से अधिक समय लगेगा, क्योंकि ईव्हीएम की संख्या सीमित है। इसलिए मतपेटियों के माध्यम से पंचायतों का चुनाव कराने का निर्णय लिया गया है।
वहीं उन्होंने प्रदेश के सभी जिलों के कलेक्टर के साथ वीडियो कॉंफ्रेंस राज्य निर्वाचन आयुक्त ने कहा कि आयोग चुनाव को लेकर पूरी तरह तैयार है। आगामी दो तीन दिन में तारीख भी घोषित हो जाएंगी। आयुक्त बीपी सिंह ने कहा कि इस बार पंचायत के सभी पदों के चुनाव मतपत्र से ही होंगे। अभी तक जिला और जनपद पंचायत स्तर के जनप्रतिनिधियों के चुनाव ईव्हीएम से कराए जाते थे।
आयोग ने संकेत दिए हैं कि पहले नगरीय निकाय चुनाव होंगे, जिसमें पार्षदों को चुनाव किया जाएगा। क्योंकि महापौर और अध्यक्ष पद का चुनाव तो अप्रत्यक्ष प्रणाली से होना है। लिहाजा पार्षद चुनाव के बाद मतपत्र के जरिए पंच, सरपंच, जनपद व जिला पंचायत सदस्यों का निर्वाचन होगा। यह बात भी सामने आई है कि ईवीएम की कमी के चलते जनपद सदस्य, जिला पंचायत सदस्य के चुनाव ईवीएम के बजाय मतपत्रों से कराए जाएंगे।
निकाय चुनाव होंगे ईव्हीएम से
राज्य निर्वाचन आयुक्त ने कहा कि नगरीय निकाय चुनाव पूरी तरह ईव्हीएम से होगा। अब ये स्पष्ट हो गया कि अप्रत्यक्ष तौर पर ही महापौर का चुनाव होगा। पहले कहा जा रहा था कि मध्यप्रदेश में पंचायतों के पहले शहरों में सरकार बन सकती है। राज्य निर्वाचन आयोग के लिए आज की तारीख में नगरीय निकाय चुनाव कराना बेहद आसान भी है। दरअसल नगरीय निकायों के चुनावों के लिए आरक्षण की प्रक्रिया पूरी हो चुकी है और नगरीय निकायों का परिसीमन का काम भी पूरा है। इसके विपरीत पंचायत चुनावों में आरक्षण की प्रक्रिया अभी शेष है।
सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद सक्रिय हो उठी प्रशासनिक मशीनरी
मंगलवार को जैसे ही इस मामले में सुप्रीम कोर्ट का फैसला आया, राजनैतिक दलों के साथ ही प्रशासनिक मशीनरी भी सक्रिय हो उठी। खासतौर पर राज्य निर्वाचन आयोग में जबर्दस्त गहमागहमी रही। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में राज्य निर्वाचन आयोग को स्पष्ट निर्देश दिए हैं सो राज्य निर्वाचन आयुक्त ने तुरंत ही एक बैठक बुलाकर आवश्यक तैयारियों का जायजा ले लिया। बुधवार को आयोग के वरिष्ठ अधिकारियों की बैठक बुलाई गई जिसमें चुनावों की तैयारियों पर चर्चा की गई।