इसरो के हाथ लगी एक और सफलता,आदित्य एल_1 पृथ्वी की कक्षा से बाहर अपनी यात्रा के अंतिम पड़ाव की ओर निकला
आदित्य-एल1 ने फिलहाल साइंटिफिक डेटा जुटाना शुरू कर दिया है। बीते 2 सितंबर को इसरो ने पीएसएलवी-सी57 रॉकेट के जरिए आदित्य एल1 की लॉन्चिंग की थी, जिसे पृथ्वी से 15 लाख किलोमीटर दूर लैग्रेंजियन बिंदु-1 पर प्रभामंडल कक्षा में स्थापित किया जाएगा।

नई दिल्ली : चंद्रयान मिशन के बाद इसरो को फिर से सफलता हाथ लगी है। जहां आदित्य एल_1 अब पृथ्वी के कक्ष से बाहर निकल गया है। आदित्य एल_1 अपनी यात्रा के अंतिम पड़ाव की ओर है,जो पृथ्वी से लगभग 15 लाख किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यानी कि आदित्य-एल1 सोमवार-मंगलवार की मध्य रात्रि में करीब 2 बजे तय प्रक्रिया के तहत धरती के गुरुत्वाकर्षण के प्रभाव से आगे निकल गया और फिर पृथ्वी-सूर्य प्रणाली में लैग्रेंज प्वाइंट 1 पर पहुंचने के लिए अपनी चार महीने की यात्रा शुरू कर दी है। इसकी जानकारी इसरो ने ट्वीटर कर दी है।
पृथ्वी से 15 लाख किलोमीटर की दूरी पर स्थित है प्वाइंट
बता दें कि यह प्वाइंट पृथ्वी से करीब 15 लाख किलोमीटर की दूरी पर है। अंतरिक्ष यान आदित्य-एल1 ने पृथ्वी की ओर जाने वाली चार गतिविधियों को सफलतापूर्वक पूरा कर लिया है। एक बार जब आदित्य-एल1 लैग्रेंज प्वाइंट पर पहुंच जाएगा, तो यह एक प्रभामंडल कक्षा में प्रवेश करेगा और अपने मिशन की अवधि के दौरान वहीं रहेगा। लैग्रेंज बिंदु, जिसका नाम प्रसिद्ध इतालवी-फ्रांसीसी गणितज्ञ जोसेफ-लुई लैग्रेंज के नाम पर रखा गया है।
साइंटिफिक डेटा जुटाना किया शुरू
वहीं आदित्य-एल1 ने फिलहाल साइंटिफिक डेटा जुटाना शुरू कर दिया है। बीते 2 सितंबर को इसरो ने पीएसएलवी-सी57 रॉकेट के जरिए आदित्य एल1 की लॉन्चिंग की थी, जिसे पृथ्वी से 15 लाख किलोमीटर दूर लैग्रेंजियन बिंदु-1 पर प्रभामंडल कक्षा में स्थापित किया जाएगा। बीते सोमवार को इसरो ने ट्वीट कर कहा, ‘आदित्य में लगे उपकरण सुप्रा थर्मल एनर्जेटिक पार्टिकल स्पेक्ट्रोमीटर (स्पेस) के सेंसर ने सुपर-थर्मल और ऊर्जावान आयनों और इलेक्ट्रानों को मापना शुरू कर दिया है। इसे 10 सितंबर को पृथ्वी से 50 हजार किलोमीटर से अधिक दूरी पर सक्रिय किया गया था।’ बता दें कि आदित्य एल1 सूर्य का अध्ययन करने वाला पहला अंतरिक्ष भारतीय मिशन है।