केन्द्रीय मंत्री गडकरी का दावा: देश में दो साल बाद एक ही कीमत पर बिकेंगे पेट्रोल और इलेक्ट्रानिक वाहन
नई दिल्ली। केन्द्रीय परिवहन मंत्री नितिन गड़करी (Union Transport Minister Nitin Gadkari) ने आज सोमवार को इलेक्ट्रानिक वाहनों (electronic vehicles) को लेकर बड़ा दावा किया है। उन्होंने दावा किया है कि अगले दो साल में पेट्रोल (petrol) और इलेक्ट्रिक से चलने वाली गाड़ियां (electric vehicles) एक ही कीमत पर बिकेंगी। गडकरी ने यह बात सस्टेनेबिलिटी की ओर से आयोजित एक कार्यक्रम में कही। उन्होंने तर्क देते हुए कहा कि इलेक्ट्रॉनिक वाहनों पर GST सिर्फ 5 फीसदी है, जबकि पेट्रोल वाले वाहनों पर इससे कहीं ज्यादा है।
नितिन गडकरी ने कहा कि हमने दोपहिया वाहनों के मामले में लीड ली है। भारत (India) की बजाज (Bajaj) और हीरो जैसी कंपनियां अपने इलेक्ट्रिक टूवीलर्स (electric two wheelers) को एक्सपोर्ट भी कर रही हैं। इलेक्ट्रिक वाहनों के चार्जिंग पॉइंट्स (charging points) की कमी के सवाल पर उन्होंने कहा कि अगले दो साल में देश भर में इनकी संख्या में इजाफा किया जाएगा। उन्होंने कहा कि रोड के किनारे और मार्केट वाले इलाकों में फिलहाल 350 स्थानों पर चार्जिंग पॉइंट्स बनाने का काम चल रहा है। इसके अलावा पेट्रोल पंपों को भी परमिशन दी जा रही है कि वे इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए चार्जिंग पॉइंट्स लगा सकें।
नितिन गडकरी ने आगे कहा कि मेरा सपना है कि भारत इलेक्ट्रानिक वाहनों का हब बने। इसलिए मैंने मर्सिडीज और बीएमडब्ल्यू (Mercedes and BMW) जैसी कंपनियों को भारत आने के लिए आमंत्रित किया है। उन्होंने कहा कि इलेक्ट्रॉनिक वाहनों में सबसे ज्यादा कीमत लीथियम बैटरी की है। लिथियम बैटरी की कुल जरूरत का 81 फीसदी उत्पादन स्थानीय स्तर पर ही किया जा रहा है। इसके विकल्प को लेकर भी रिसर्च की जा रही है और जल्दी ही इस दिशा मेंकोई सुधार देखनेको मिलेगा।
इलेक्ट्रॉनिक वाहनों को लेकर गडकरी ने शेयर की प्लानिंग
उन्होंने कहा कि भारत में बड़ी संख्या में ऐसे भी लोग हैं, जिनके पास इलेक्ट्रिक वाहनों को चार्ज करने के लिए अपने पॉइंट्स हैं। नितिन गडकरी ने कहा कि देश में इलेक्ट्रिक वाहन इंडस्ट्री तेजी से बढ़ रही है और आने वाले दिनों में कीमतों में कमी के चलते इसके इस्तेमाल में इजाफा देखने को मिलेगा। उन्होंने कहा कि हमारा लक्ष्य है कि 2030 तक 30 फीसदी प्राइवेट कार, 70 फीसदी तक कमर्शियल कार और 40 फीसदी बसें इलेक्ट्रिक हो जाएं।