शहडोल में फिर गर्म सलाखों से दागा गया मासूमों को, एक ने तोड़ा दम, दूसरा कर रहा जीवन से संघर्ष
शहडोल की पांच महीने की काव्या नाम की मासूम को सांस लेने में तकलीफ हो रही थी। जिसके चलते इलाज के नाम पर मासूम को परिजनों द्वारा गर्म सलाखों से दागा गया है। तबियत बिगड़ने के बाद परिजन इलाज कराने मेडिलक कॉलेज पहुंचे, जहां इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई है।
शहडोल। शहडोल संभाग से मासूम बच्चों को सलाखों से दागने की लगातार घटनाएं सामने आ रही हैं। इतना ही नहीं, आए दिन ही इस तरह की घटनाएं सामने आ रही हैं। बीते महीने यानि फरवरी में दो मासूम बच्चों को गर्म सलाखों से दागा गया था, जिनकी इलाज के दौरान मौत हो गई। फरवरी में महीने में इस तरह की यह दूसरी घटना थी। वहीं एक बार फिर जिले में इलाज के नाम पर मासूमों के साथ अत्याचार किया गया है। दो मासूमों के गर्म सलाखों से दागा गया है। इस अंधविश्वास के कारण जहां एक मासूम की इलाज के दौरान मौत हो गई है, वहीं दूसरा शहर के मेडिकल कॉलेज में वेंटिलेटर पर जिंदगी और मौत की जंग लड़ रहा है।
बता दें कि आदिवासी बाहुल्य जिला शहडोल में अंधविश्वास के कारण बच्चों में गर्म सलाखों से दागने की प्रथा है, जो मासूमों के लिए काल बनी हुई है। बताया जा रहा है कि शहडोल की पांच महीने की काव्या नाम की मासूम को सांस लेने में तकलीफ हो रही थी। जिसके चलते इलाज के नाम पर मासूम को परिजनों द्वारा गर्म सलाखों से दागा गया है। तबियत बिगड़ने के बाद परिजन इलाज कराने मेडिलक कॉलेज पहुंचे, जहां इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई है।
इसी प्रकार उमरिया जिले के करकेली में पांच महीने के दिव्यांश को भी गर्म सलाखों से दागने के बाद हालात ज्यादा बिगड़ने पर उपचार के लिए मेडिकल कॉलेज में भर्ती कराया गया है, जहां वह वेंटिलेटर पर जिंदगी और मौत की जंग लड़ रहा है। मेडिकल कॉलेज के सुपरिटेंडेंट डॉ नागेंद्र सिंह ने बताया है कि दो बच्चे दागने से आए थे, जिसमें एक की मौत हो गई है तो दूसरा गंभीर है जिसका उपचार किया जा रहा है।