Pak का सियासी ड्रामा: तीन महीने में नहीं होंगे चुनाव: चुनाव आयोग के इस फैसले से इमरान के अरमानों पर फिरेगा पानी

नई दिल्ली। पाकिस्तान का सियासी ड्रामा बढ़ता ही जा रहा है। जहां एक ओर आज एक ओर राष्ट्रपति द्वारा संसद भंग किए जाने के मामले में पाकिस्तान सुप्रीम कोर्ट सुनवाई करेगा। वहीं दूसरी ओर चुनाव आयोग ने तीने महीने में चुनाव न कराने की बात कहकर इमरान खान को बड़ा झटका दिया है। चुनाव आयोग में असमर्थता जताते हुए कहा है कि चुनाव की प्रक्रिया को पूरा करने में कम से कम छह महीने का समय लगेगा।
बता दें कि इमरान खान की सिफारिश पर राष्ट्रपति आरिफ अल्वी ने नेशनल असेंबली को भंग कर दिया है। अब यहां 90 दिन में चुनाव कराए जाने की बात कही जा रही है। पाकिस्तानी अखबार डॉन ने चुनाव आयोग के एक सीनियर अधिकारी के हवाले से बताया कि दोबारा चुनाव कराने में कम से कम छह महीने का समय लगेगा। चुनाव आयोग के इस फैसले से इमरान खान के अरमानों पर पानी फिर गया है।
चुनाव आयोग ने आगे कहा कि कि इतने कम समय में चुनाव कराए जाना मुश्किल है। इसमें न सिर्फ संवैधानिक चुनौतियां हैं, बल्कि और भी कई दिक्कते हैं। दरअसल पाकिस्तान में अगर सब कुछ सही से चलता तो अगस्त 2023 में यहां आम चुनाव होते, लेकिन राजनीतिक संकट की वजह से सदन डेढ़ साल पहले ही भंग हो गई है। इमरान खान विपक्ष पर तंज कसते हुए कह रहे हैं कि हमने उन्हें चुनाव लड़ने के लिए कहा और वो सुप्रीम कोर्ट पहुंच गए।
तीन महीने में चुनाव कराने पर ये आएंगी दिक्कतें
अगर तीन महीने में चुनाव कराए जाते हैं तो इलेक्शन एक्ट की धारा 39 के प्रावधान के अनुसार चुनाव तारीख से एक महीने पहले इलेक्टोरल रोल को फ्रीज करना होगा। आयोग के मुताबिक, ऐसा होता है तो कई सारे वोटर्स इस लिस्ट में शामिल नहीं हो पाएंगे। इसके अलावा करीब 1 लाख चुनाव कर्मियों की नियुक्ति करनी होगी और उन्हें ट्रेनिंग देना होगा। 2018 के आम चुनाव के बाद 1.5 करोड़ नए वोटर्स जुड़े हैं, लिहाजा इस बार 10 हजार पोलिंग स्टेशन और बढ़ाने होंगे।
संवैधानिक चुनौतियां क्या-क्या?
कानूनी अड़चनों के बारे में अधिकारी ने ‘डॉन’ को बताया कि इलेक्शन एक्ट की धारा 14 के तहत चुनाव आयोग को 4 महीने पहले चुनाव तारीखों का ऐलान करना जरूरी है। इसके अलावा पंजाब और खैबर पख्तूनख्वाह में चुनाव आयोग के सदस्यों की नियुक्ति नहीं हुई है। संविधान में आयोग के सदस्यों की नियुक्ति प्रधानमंत्री की अध्यक्षता वाली कमेटी करती है। केयरटेकर पीएम को लेकर कोई स्पष्ट प्रावधान नहीं है।
इलेक्टोरल रोल तैयार करना सबसे बड़ी चुनौती
डॉन को चुनाव आयोग के अधिकारी ने बताया कि नए सिरे से निर्वाचन क्षेत्रों का परिसीमन करना है। खासतौर से खैबर-पख्तूनख्वा में, जहां सीटों के संख्या बढ़ाई गई है। यहां इलेक्टोरल रोल तैयार करना बड़ी चुनौती है। अधिकारी के मुताबिक, परिसीमन एक लंबी प्रक्रिया है। एक महीना तो सिर्फ आपत्तियों के लिए चाहिए और उसके बाद एक महीना उन आपत्तियों को ठीक करना. उन्होंने बताया कि तीन महीने तो परिसीमन में ही लग जाएंगे।