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इंदौर-मनमाड़ रेल परियोजना: MP में बनेंगे 33 फ्लाईओवर और 62 अंडरपास, 17.7 KM की बनेगी लंबी सुरंग: वैष्णव-मोहन ने दी जानकारी

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इंदौर। इंदौर-मनमाड़ नई रेल लाइन परियोजना स्वीकृत होने के बाद अब जमीनी स्तर पर तैयारी शुरू हो गई है। मंगलवार को रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव और मुख्यमंत्री मोहन यादव ने इंदौर में प्रेस कॉन्फ्रेंस कर रेल लाइन को लेकर पूरी जानकारी भी दी। पीसी में रेल मंत्री वर्चुअली जुड़े थे। वैष्णव ने मीडिया को संबोधित करते हुए कहा कि इंदौर और मनमाड़ के बीच नई रेल लाइन शुरू की जा रही है। इससे मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र में हजारों करोड़ का निवेश आएगा।

रेल मंत्री ने प्रेजेंटेशन के माध्यम से मीडिया को बताया कि इंदौर-मनमाड़ रेल परियोजना 309 किलोमीटर की होगी और इससे मध्यप्रदेश का मालवा-निमाड़ क्षेत्र सीधे मुंबई से कनेक्ट हो जाएगा। 18036 करोड़ की लागत वाली यह परियोजना 2029 तक पूरी हो जाएगी। इस रेल लाइन पर मध्यप्रदेश में 33 प्लाईओवर एवं 62 अंडरपास बनाए जाएंगे, ताकि ग्रामीण जनजीवन इस परियोजना से प्रभावित न हो। इसी तरह महाराष्ट्र में 12 फ्लाईओवर और 79 अंडरपास बनाए जाएंगे। चंबल, नर्मदा और तापी सहित अन्य छोटी नदियों में दो लाइन वाले पुल भी बनाए जाएंगे। उन्होंने बताया कि परियोजना के अंतर्गत बिछाई जाने वाली रेल लाइन पर 160 कि.मी.प्रतिघंटे की रफ्तार से ट्रेनें दौड़ सकेंगी तथा सिग्नलिंग के लिए कवच सिस्टम का प्रयोग किया जाएगा।

परियाजना में बनेंगे 34 रेलवे स्टेशन
वैष्णव ने कहा कि परियोजना के अंतर्गत जो सुरंगें बनाई जाएंगी, उनमें से 17.7 कि.मी. सुरंगें मध्यप्रदेश में बनाई जाएंगी। इंदौर-मनमाड़ रेल लाइन मध्यप्रदेश में इंदौर, धार, खरगोन और बड़वानी जिलों तथा महाराष्ट्र में नासिक और धुले जिलों से गुजरेगी। इस परियोजना के पूर्ण होने पर मध्यप्रदेश के फल, सब्जी, कपास आदि का उत्पादन करने वाले जिले, औद्योगिक क्षेत्र सीधे तौर पर मुंबई के जवाहरलाल नेहरू पोर्ट ट्रस्ट से जुड़ जाएंगे। परियोजना के अंतर्गत 102 लाख मानव दिवस का रोजगार पैदा होगा तथा जनजातीय बहुल जिलों से गुजरने वाली यह रेल लाइन जनजातियों के सशक्तीकरण में महत्वपूर्ण योगदान देगी। परियोजना के अंतर्गत कुल 34 रेलवे स्टेशन बनाए जाएंगे, जिनमें से 18 मध्यप्रदेश में और 16 महाराष्ट्र में होंगे। उन्होंने बताया इस परियोजना के पूर्ण होने पर देश के तीन प्रमुख ज्योतिर्लिंग महाकालेश्वर, त्रयंबकेश्वर एवं घुष्मेश्वर रेल संपर्क द्वारा जुड़ जाएंगे। श्री वैष्णव ने बताया कि यह परियोजना 138 करोड़ किलो कार्बन डाईआॅक्साइड का उत्सर्जन रोकेगी जो कि 5.5 करोड़ पेड़ लगाने के बराबर है।

यह रेल नहीं आदिवासियों के लिए है विकास लाइन: सीएम
वहीं सीएम मोहन यादव ने कहा कि ये रेल नहीं, आदिवासियों के लिए विकास लाइन है। रेलवे ट्रैक नहीं होने से आजादी के कारण यहां से बड़ी संख्या में आदिवासियों का पलायन हुआ है। यह रुक जाएगा। उन्होंने कहा कि ये त्र्यंबकेश्वर से महाकालेश्वर को जोड़ने वाला रास्ता है। इससे माइनिंग से मिलेट्स, नासिक के प्याज, मालवा के आलू को बड़ा मार्केट मिलेगा। लॉजिस्टिक हब भी विकसित होगा। उन्होंने कहा कि यहां बडे पैमाने पर लॉजिस्टिक हब की भी बहुत बड़ी संभावना है।

इंदौर को इकोनॉमिक कॉरिडोर बनाने में मिलेगी मदद
मुख्यमंत्री डॉ.यादव ने कहा कि यह रेल परियोजना 4 साल में डेवलप होगी तब तक राज्य सरकार भी विकास का रोडमैप बनाकर समान रूप से पूरे क्षेत्र में विकास के लिए संकल्पित है। हमारा इंदौर के आसपास के इलाकों में इकोनॉमिक कॉरिडोर बनाने का जो प्लान है, उसमे भी हमें काफी मदद मिलेगी। मध्यप्रदेश देश के मध्य में है और नई रेल परियोजना से मध्यप्रदेश का तो भला होगा ही,लेकिन मध्यप्रदेश देश के मध्य में होने के कारण यहां से सभी दिशाओं में आवगमन और सुविधाजनक होगा और इससे देश के विकास में भी तेजी आएगी।

एमपी में 18 और महाराष्ट्र में 16 रेलवे स्टेशन होंगे
इंदौर से मनमाड़ तक कुल 34 रेलवे स्टेशन इस लाइन पर आएंगे। इनमें से 30 नए बनेंगे जबकि चार पहले से हैं। मध्यप्रदेश में 17 नए स्टेशन मिलाकर कुल 18 रेलवे स्टेशन होंगे। इंदौर की तरफ से देखें तो महू (पहले से है), कैलोद, कमदपुर, झाड़ी बरोदा, सराय तालाब, नीमगढ़, चिक्त्या बड़, ग्यासपुरखेड़ी, कोठड़ा, जरवाह, अजंदी, बघाड़ी, कुसमारी, जुलवानिया, सली कलां, वनिहार, बवादड़ और मालवा स्टेशन महाराष्ट्र बॉर्डर पर बनेगा। महाराष्ट्र में 16 स्टेशन होंगे, जिसमें से तीन पहले से बने हुए हैं। ये स्टेशन सांगवी, लोकी, शिरपुर, दभाक्षी, नदाना (पहले से है), न्यू धुले (पहले से है), कस्बे ललिंग्नान, पूरमपेड़ा, झांझ, छीकाहोल, मालेगांव, यसगांव बीके, मेहुन, चोंधी, खटगांव और मनमाड़ (पहले से है) होंगे।

पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा
परियोजना देश के पश्चिमी दक्षिण-पश्चिमी हिस्से को मध्य भारत से जोड़ने वाला छोटा रास्ता उपलब्ध कराकर क्षेत्र में पर्यटन को बढ़ावा देगी। इससे महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर सहित उज्जैन-इंदौर क्षेत्र के विभिन्न पर्यटन/धार्मिक स्थलों पर पर्यटकों की संख्या बढ़ेगी। परियोजना से पीथमपुर आॅटो क्लस्टर (90 बड़ी इकाइयां और 700 छोटे और मध्यम उद्योग) को जेएनपीए के गेटवे पोर्ट और अन्य राज्य बंदरगाहों से सीधा सम्पर्क मिलेगा। परियोजना मध्यप्रदेश के बाजरा उत्पादक जिलों और महाराष्ट्र के प्याज उत्पादक जिलों को भी सीधा सम्पर्क प्रदान करेगी, जिससे देश के उत्तरी और दक्षिणी हिस्सों में इसके वितरण में सुविधा होगी।

कृषि, उद्योग में भी फायदा होगा
कृषि उत्पादों, उर्वरक, कंटेनर, लौह अयस्क, इस्पात, सीमेंट, पीओएल के परिवहन के लिए यह एक आवश्यक मार्ग है। क्षमता वृद्धि कार्य के परिणामस्वरूप लगभग 26 एमटीपीए (मिलियन टन प्रति वर्ष) की अतिरिक्त माल ढुलाई होगी। रेलवे पर्यावरण अनुकूल और ऊर्जा कुशल परिवहन का साधन है, जो जलवायु लक्ष्यों को प्राप्त करने और देश की रसद लागत को कम करने, तेल आयात (18 करोड़ लीटर) को कम करने और कार्बनडाइक्साइड उत्सर्जन (138 करोड़ किलोग्राम) को कम करने में मदद करेगा जो साढ़े 5 करोड़ पेड़ लगाने के बराबर है।

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