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रेपिस्ट आसाराम के रेपिस्ट बेटे को नहीं मिली फर्लो

नयी दिल्ली। रेपिस्ट बाप-बेटे की जोड़ी वाले बेटे को एक और जोरदार झटका लगा है । उच्चतम न्यायालय (Supreme Court of India) ने आसाराम बापू (Asaram Bapu) के बेटे नारायण साई (Narayan Sai) को दो हफ्तों का फर्लो (Parole) देने के गुजरात उच्च न्यायालय (High Court of Gujarat) के आदेश पर बृहस्पतिवार को रोक लगा दी। साई दुष्कर्म के एक मामले में दोषी है। वह अपनी ही तरह एक अन्य जेल में सजा काट रहे रेपिस्ट आसाराम का बेटा है ।

न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति एम आर शाह की पीठ ने गुजरात सरकार की याचिका पर नारायण साई को नोटिस दिया। इस याचिका में उच्च न्यायालय की एकल पीठ के आदेश को चुनौती दी गयी है।

उच्चतम न्यायालय ने मामले पर सुनवाई के लिए दो हफ्ते बाद का समय दिया है।

गुजरात उच्च न्यायालय की एकल पीठ ने 24 जून को नारायण साई को फर्लो की मंजूरी दी थी। इससे पहले दिसंबर 2020 में उच्च न्यायालय ने साई की मां की तबीयत खराब होने के कारण उसे फर्लो दी थी।

सूरत की एक अदालत ने नारायण साई को 26 अप्रैल 2019 को भारतीय दंड संहिता की धारा 376 (दुष्कर्म), 377 (अप्राकृतिक अपराध), 323 (हमला), 506-2 (आपराधिक धमकी) और 120-बी (षड़यंत्र) के तहत दोषी ठहराया था और उम्रकैद की सजा सुनायी थी।

साई को उसकी और उसके पिता आसाराम की पूर्व अनुयायी द्वारा दायर बलात्कार के मामले में उम्रकैद की सजा सुनायी गयी थी। पीड़िता की बहन ने आसाराम के खिलाफ दुष्कर्म की शिकायत दर्ज करायी थी।

यह होता है फर्लो

इसमें कैदी को जेल में कुछ वर्ष बिताने के पश्चात जेल मे उसके अच्छे आचरण तथा अनुशासन को बनाए रखने के लिए, कम समय के लिए छोड़ा जाता है।फर्लो  उस कैदी को प्रदान की जा सकती है जिसे पाँच या अधिक वर्षों के लिए सख्त सजा दी गई हो और वह दोषसिद्धि के पश्चात तीन साल की सजा काट चुका हो और उसका रिकार्ड बेदाग हो।

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