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आदेश के सामने दास झुकाता है अपना सिर, तनखाइया घोषित पर बोले शिअद चीफ, जानें क्या है मामला

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चंडीगढ़। बीते शुक्रवार यानि कल शिरोमणि अकाली दल के अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल को तनखाइया घोषित कर दिया गया है। यह घोषणा श्री अकाल तख्त साहिब के जत्थेदार ज्ञानबीर सिंह ने की है। बताया जा रहा है कि श्री अकाल तख्त साहिब द्वारा यह घोषणा 2007 से 2017 तक बादल और उनकी पार्टी की सरकार द्वारा किए गए “गलतियों” के कारण की गई। इस दौरान सुखबीर सिंह बादल उप मुख्यमंत्री के पद पर थे। अकाली तख्त द्वारा यह घोषणा किए जाने सुखबीर सिंह बादल का भी बयान सामने आया है। उन्होंने ट्वीट कर कहा है कि वह श्री अकाल तख्त साहिब के आदेश के सामने दास अपना सिर झुकाता है और आदेश को स्वीकार करता है। बादल ने पंजाबी में एक पोस्ट में कहा कि वह जल्द ही श्री अकाल तख्त के सामने पेश होकर माफी (खिमा का परीक्षण ) मांगेंगे।

बादल ने कहा कि वह और उनके साथी श्री अकाल तख्त द्वारा जारी किए गए हर आदेश को गुरमत परंपराओं के अनुसार विनम्रता से स्वीकार करेंगे। उन्होंने अक्टूबर 2015 में अपने पिता और तत्कालीन मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल द्वारा श्री अकाल तख्त को लिखे पत्र की एक प्रति भी संलग्न की, जिसमें 2007 से 2015 के दौरान पंजाब में हुए “कुछ दुखद घटनाओं” का उल्लेख था। वहीं श्री अकाल तख्त साहिब के जत्थेदार ज्ञानी रघबीर सिंह ने कहा कि पांच सिंह साहिबान ने सर्वसम्मति से यह निर्णय लिया गया कि सुखबीर सिंह बादल ने पंजाब सरकार में उपमुख्यमंत्री व शिअद के अध्यक्ष रहते हुए कुछ ऐसे फैसले लिए, जिससे पंथ की छवि को काफी नुकसान पहुंचा।

ज्ञानी रघबीर सिंह ने कहा कि जब तक बादल अपने “पापों” के लिए माफी नहीं मांगते, वह ‘तनखैया’ बने रहेंगे। उन्होंने यह भी कहा कि 2007-17 के दौरान अकाली सरकार में मंत्री रहे सिख समुदाय के सदस्य भी श्री अकाल तख्त पर व्यक्तिगत रूप से पेश हों और 15 दिनों के भीतर अपनी लिखित स्पष्टीकरण प्रस्तुत करें। हालांकि, जत्थेदार ने बादल द्वारा की गई “गलतियों” का विवरण नहीं दिया, लेकिन 2015 में फरीदकोट में गुरु ग्रंथ साहिब की ‘बीर’ (प्रतिलिपि) की चोरी, हस्तलिखित अपवित्र पोस्टरों का लगना और पवित्र पुस्तक के फटे पन्नों का बिखरे हुए मिलने जैसी घटनाएं शिरोमणि अकाली दल के शासनकाल में हुई थीं।

अकाल तख्त पर पेश होंगे सुखबीर: शिअद
तनखाइया घोषित करने पर शिरोमणि अकाली दल के प्रवक्ता विरसा सिंह वल्टोहा ने कहा कि अब सुखबीर बादल श्री अकाल तख्त साहिब पर पेश होंगे। वहीं, अकाली नेता दलजीत सिंह चीमा ने कहा कि श्री अकाल तख्त साहिब से जो भी आदेश आया है, शिअद उसे सिर झुकाकर स्वीकार करता है। सुखबीर बादल ने पहले ही साफ कर दिया था कि जो भी आदेश सिंह साहिब की ओर से आएगा, वह उसे एक विनम्र सिख के तौर पर स्वीकार करेंगे।

क्या होता है तनखाइया?
सिख पंथ में श्री अकाल तख्त साहिब की ओर से पंथ से जुड़ी गलतियों के लिए किसी व्यक्ति को दोषी करार दिए जाने को तनखाइया और धार्मिक सजा सुनाने को तनखा लगाना कहा जाता है। तनखाइया घोषित करने के बाद संबंधित व्यक्ति को अपने ऊपर लगे आरोपों का सामना करने के लिए अकाल तख्त साहिब पर बुलाया जाता है। इस दौरान अकाल तख्त से संगत के सामने सिंह साहिबान धार्मिक गलतियों को बोल कर सुनाते हैं। दोषी से पूछा जाता है कि क्या वह इन्हें स्वीकार करता है। अगर तनखाइया व्यक्ति गलतियां स्वीकार कर लेता है, तो उसे धार्मिक सजा सुनाई जाती है। गलतियां स्वीकार न करने पर उसे सिख पंथ से निष्कासित करने का एलान कर दिया जाता है। पूर्व सीएम सुरजीत सिंह बरनाला व कैप्टन अमरिंदर सिंह, शिअद नेता सुच्चा सिंह लंगाह, पटना साहिब के जत्थेदार ज्ञानी इकबाल सिंह और पूर्व मंत्री सिकंदर सिंह मलूका आदि को भी तनखाइया घोषित किया जा चुका है।

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