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लौमहर्षक हादसा: कमला नेहरू अस्पताल की आग ने अब तक 8 नवजातों को लीला

भोपाल। मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) के सबसे बड़े सरकारी हमीदिया अस्पताल ( Hamidia Hospital) में स्थित कमला नेहरू अस्पताल की (Kamala Nehru Hospital) तीसरी मंजिल में शॉर्ट सर्किट के कारण लगी भीषण आग (fierce fire) से बच्चा वार्ड (child ward) में भर्ती नवजात शिशुओं (newborn babies) के लिए काल बन गई। कल रात से लेकर अब तक 8 नवजातों को अपना ग्रॉस बना चुकी है, जिसकी पुष्टि भी हो चुकी है। इन सभी 8 नवजातों का पोस्टमॉर्टम (Postmortem) भी करा दिया गया है।

हालांकि सबसे खास बात यह है कि इतना सब होने के बाद भी अस्पताल प्रबंधन (hospital management) अब तक 4 बच्चों की ही मौत का दावा कर रहा है। जिनमें शिवाजी, इरफाना, शाजमा और रचना के नाम शामिल हैं। वहीं मंगलवार को जिन बच्चों की मौत हुई है अस्पताल प्रबंधन उन मौतों को हादसे से होना स्वीकार नहीं कर रहा है। आज जिन बच्चों के शव परिजनों को सौंपे गए हैं उनमें आज प्रभा, महरू, तरन्नुम, राहुल प्रजापति, रीना व ऊषा के नाम शामिल हैं। इसमें दो बच्चे ऐसे भी जिनका पोस्टमॉटम भी नहीं कराया गया है।

राजधर्म का पालन कर शिवराज दोषियों पर करें कठोर कार्रवाई
वहीं अब इस ह्रदय विदारक हादसे पर सियासत भी शुरू हो गई है। कमला नेहरू अस्पताल में आग की घटना पर पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती (Uma Bharti) ने एक बार फिर अपनी ही सरकार पर सवाल उठाए हैं। उमा ने ट्विटर (Twiter) पर लिखा कि यह कभी न भूलने वाला दुख अध्याय है। इसमें जिन्होंने भी लापरवाही की हैं, उनको जल्द ही सख्त सजा मिलनी चाहिए। साथी उन्होंने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान (Chief Minister Shivraj Singh Chouhan) को नसीहत देते हुए कहा कि मुख्यमंत्री राजधर्म का पालन (adherence to rajdharma) करते हुए दोषियों पर सख्त कार्रवाई (strict action against the culprits) करें।

सरकार छिपा रही आंकड़े
इधर मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ (Kamal Nath) ने भी हमीदिया के कमला नेहरू अस्पताल का दौरा करने पहुंचे। इस दौरान उन्होंने मप्र सरकार पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि सरकार आंकड़े छिपाने का खेल खेल रही है। मेरी मांग है कि हाईकोर्ट जज इसकी जांच करें। अभी जांच वो कर रहे हैं, जो खुद दोषी हैं। कमलनाथ करीब आधे घंटे अस्पताल में रुके। वहीं हमीदिया हादसे पर मानवाधिकार आयोग (Human rights commission) ने भी संज्ञान ले लिया है। मध्यप्रदेश मानव अधिकार आयोग के अध्यक्ष न्यायमूर्ति नरेंद्र कुमार जैन ने मुख्य सचिव, अपर मुख्य सचिव स्वास्थ्य तथा हमीदिया अस्पताल अधीक्षक से एक हफ्ते में जांच रिपोर्ट मांगी है।

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