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IRCS अपनी ताकत और कमजोरियों का करे आत्मनिरीक्षण, नहीं तो खो जाएगी पहचान: मंडाविया

नयी दिल्ली। इंडियन रेड क्रॉस सोसाइटी को अभिनव और सहयोगी उपायों के जरिए बड़ी आबादी तक पहुंचने के लिए समय के साथ बदलती भूमिका को अपनाने और इसके लिए खुद को फिर से परिभाषित करने की एक कार्य योजना तैयार करने की जरूरत है। केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया ने यह बड़ी बात लीडरशिप समिट के उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए कही। मंत्री ने कहा कि रेड क्रॉस लोगों के बीच उम्मीद और आशा की किरण के तौर पर पहचाना जाता है।

मंडाविया ने अपने संबोधन में आगाह भी किया कि अगर आईआरसीएस बदलते समय के साथ तालमेल नहीं बैठाता तो इसकी प्रासंगिकता और पहचान खो सकती है। बकौल मंत्री, आईआरसीएस को अपनी ताकत और कमजोरियों पर आत्मनिरीक्षण करने और समय के साथ बदलती भूमिका को अपनाने तथा इसके लिए खुद को फिर से परिभाषित करने की एक कार्य योजना तैयार करने की आवश्यकता है।

आईआरसीएस को अनुशासन पर ध्यान देने की जरूरत
मांडविया ने कहा, सेवा और सहयोग हमारी विरासत का हिस्सा हैं और वे हमारे संस्कार का एक अभिन्न अंग हैं। ये भारतीय रेड क्रॉस सोसाइटी के आदर्श वाक्य को भी रेखांकित और परिभाषित करते हैं। जो जरूरत और आपात स्थिति में मानवता की सेवा और सहायता के प्रति अपने काम के लिए जाना जाता है। मांडविया ने कहा, इसके लिए संरचनात्मक और संगठनात्मक संरचनाओं के बारे में गहरी समझ बनाने, आईआरसीएस क्षेत्रीय केंद्रों के कामकाज में अनुशासन पर ध्यान देने की आवश्यकता है।

कोविड महामारी में उन्नत देशों की कमजोरियां  उजागर
केन्द्रीय मंत्री ने यह भी कहा, हम हमेशा अन्य देशों के स्वास्थ्य सेवा मॉडल देखकर रोमांचित होते रहे हैं, लेकिन कोविड महामारी ने हमारी व्ययवस्था की ताकत दर्शायी और इस संबंध में उन्नत देशों की कमजोरियों को भी उजागर किया। उन्होंने कहा कि भारत ने न सिर्फ कोविड का सफल क्षेत्रीय मॉडल के साथ प्रबंधन किया, बल्कि ‘वैक्सीन मैत्री’ के तहत दवाओं और टीकों की आपूर्ति के रूप में कई देशों को सहायता भी प्रदान की।

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