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रीवा: आवारा घूम रहे मवेशियों का डर, पचास हजार हेटेयर में किसानों ने नहीं की बोनी

रीवा। प्रशासन द्वारा लगातार आवारा घूमने वाले पशुओं पर नकेल कसने के लिए न सिर्फ पशु मालिकों पर एफआईआर दर्ज किये जाने के निर्देश दिये बल्कि अभियान चलाकर उन्हें पकड़ने एवं गौशालाओं में भेजने के भी निर्देश दिये गये हैं। पर इन सख्तियों का कोई असर नहीं दिखाई दे रहा है। सड़कों से लेकर किसानों के खेतों तक आवारा घूमने वाले मवेशियों का डेरा जमा हुआ है। उड़द एवं दलहनी फसलों को मवेशी नुकसान कर रहे है तो वहीं अब धान को भी खासा नुकसान हो रहा है।

कृषि विभाग के आंकड़ों की मानें तो मवेशियों की डर की वजह से रीवा जिले में लगभग पचास हजार हेक्टेयर से अधिक क्षेत्रों में किसानों ने बोनी ही नहीं की। जबकि फसल बोने का लक्ष्य पौने चार लाख हेक्टेयर रखा गया था। आलम यह है कि किसान अब धीरे-धीरे खेती से अपना मुंह मोड़ने लगा है। आवारा पशुओं द्वारा फसलों को पहुंचाने वाली क्षति से किसान परेशान है। जिले में संचालित होने वाली गौशालाओं के लिए 31 हजार 56 हजार का बजट जारी किया जाता है साथ ही खेतों की रक्षा के लिए तार के बाड़ लगा रहे हैं बावजूद इसके किसान की फसलों को आवारा मवेशी चट कर रहे है। खास बात यह है कि मवेशियों से बचाने के लिए किसान परेशान हैं तो वहीं मूंग और उड़द की फसल पक चुकी है। इसके बाद भी किसान इसे बचाने की जद्दोजहद में लगे रहते हैं हालात यह हैं कि किसानों ने अब खेती करना ही बंद कर दिया है।

भटक रहे गौवंश
बता दें कि जिले का कोई भी पशुपालक अपने मवेशी को बांधकर नहीं रखना चाहता है। सड़कों पर मवेशी भटक रहे है तो वहीं सरकारी योजनायें भी कारगर साबित नहीं हो रही है। शहर में भले ही आवारा पशुओं को पकड़ने का अभियान चला रहा हो लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों में हालत काफी खराब है। किसानों की फसलों को आवारा मवेशियों से बचाने कोई ठोस पहल नहीं की जा रही है। पशु पालन विभाग द्वारा जिले की सभी गौशालाओं में गौसेवा कार्यक्रमों का आयोजन किया जा रहा हो लेकिन विभागीय नोडल अधिकारी द्वारा नियुक्त किये जाने के बाद भी कोई सार्थक पहल नहीं हो पा रही है। हालात यह है कि जिले का किसान आवारा मवेशियों से तंग आ चुका है।

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