अल्पसंख्यक विरोधी छवि भारतीय उत्पादों के बाजार को पहुंचा सकती है नुकसान, राजन ने यह बात कह सरकार को दी नसीहत
नई दिल्ली। भारतीय रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन केन्द्र सरकार के कामकाज पर पैनी नजर रखते हैं। इस बीच भारत में अल्पसंख्यकों को निशाना बनाए जाने को लेकर बड़ा बयान दिया है। रघुराम राजन ने आगाह किया कि देश के लिए एक अल्पसंख्यक विरोधी छवि भारतीय उत्पादों के बाजार को नुकसान पहुंचा सकती है और इसके परिणामस्वरूप विदेशी सरकारें राष्ट्र को एक के रूप में अविश्वसनीय साथी मान सकती हैं। यह बात उन्होंने शिकागों में कही है।
शिकागो के बूथ स्कूल आफ बिजनेस के प्रोफेसर ने लोकतंत्र और धर्मनिरपेक्षता जैसी साख की ओर इशारा करते हुए कहा कि भारत मजबूत स्थिति से धारणा की लड़ाई में प्रवेश कर रहा है। अगर भारत की अंतर्राष्ट्रीय छवि अल्पसंख्यक विरोधी बनती है तो भारत अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इंडियन प्रोडक्ट के मामले में कई तरह के नुकसान का सामना कर सकता है।
भारत में डेमोक्रेसी और सेकुलरिज्म के बूते दुनिया में उसने एक अलग मुकाम हासिल किया था. अल्पसंख्यक विरोधी छवि बनने से भारत को काफी नुकसान हो सकता है। बता दें कि सांप्रदायिक हिंसा के बाद देश के कई हिस्सों में इन दिनों बुलडोजर चल रहे हैं। दिल्ली के जहांगीरपुरी में एक मस्जिद के बाहर हुए अवैध निर्माण को तोड़ने के लिए भी बुलडोजर चलाया गया और इससे पहले वहां सांप्रदायिक तनाव की वजह से हालात बेकाबू हो गए थे।
चीन कर रहा इस समस्या का सामना
राजन ने कहा कि चीन उइगरों और कुछ हद तक तिब्बतियों को लेकर भी इस तरह की छवि समस्याओं का सामना कर रहा है, जबकि यूक्रेन को भारी समर्थन मिला है क्योंकि राष्ट्रपति वलोडिमिर जेलेंस्की को किसी ऐसे व्यक्ति के रूप में देखा जाता है जो लोकतांत्रिक विचारों की रक्षा के लिए खड़ा होता है, जिस पर दुनिया विश्वास करती है।
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक राजन ने कहा, अगर हमें लोकतंत्र के रूप में अपने सभी नागरिकों के साथ सम्मानपूर्वक व्यवहार करते हुए देखा जाए, तो हम बहुत अधिक सहानुभूतिपूर्ण हो जाते हैं। (उपभोक्ता कहते हैं) मैं इस देश से सामान खरीद रहा हूं, जो सही काम करने की कोशिश कर रहा है, जिससे हमारे बाजार बढ़ते हैं।
अल्पसंख्यकों के साथ बर्ताव से बनती है छवि
राजन ने कहा कि यह केवल उपभोक्ता नहीं हैं जो इस तरह के विकल्प चुनते हैं कि किसको संरक्षण देना है, बल्कि अंतरराष्ट्रीय संबंधों में गर्मजोशी भी इस तरह की धारणाओं को तय करती है। सरकारें इस आधार पर निर्णय लेती हैं कि कोई देश विश्वसनीय भागीदार है या नहीं। यह अपने अल्पसंख्यकों के साथ कैसे पेश आता है।
तो देश के लोकतांत्रिक चरित्र का होता है क्षरण
उन्होंने यह भी कहा कि चुनाव आयोग, प्रवर्तन निदेशालय या केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) जैसे संवैधानिक प्राधिकरणों को कम आंकने से हमारे देश के लोकतांत्रिक चरित्र का क्षरण होता है। घरेलू मामलों पर अन्य टिप्पणियों में, राजन ने कहा कि भारतीय प्रशासन को तीन कृषि कानूनों जैसे उदाहरणों से बचने के लिए प्रमुख हितधारकों के साथ परिवर्तनों पर चर्चा करके शासन की चुनौतियों से जूझना होगा। किसानों के विरोध के बाद पिछले साल तीन कानूनों को रद्द कर दिया गया था।